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डॉक्यूमेंट्री और डंका

बेहद गूढ़ राजनैतिक विज्ञान शास्त्रियों की मंडली बांछ रही है की बी.बी.सी डॉक्यूमेंट्री से मोदी मैजिक को ही फायदा होगा। ये ठीक है कि राजनीति में सबकुछ हार जीत से तय होता है। ये भी कि ब्रिटेन में टोरी सरकार है जो खुद दक्षिण पंथी है और भारत की मौजूदा सरकार से वास्ता रखती है। लेकिन बी.बी.सी कभी सत्ता परस्त नहीं रहा। मीडिया का काम किसी दल की हार जीत तय करना नहीं है बल्कि इस बात उजागर करना है जिसे सत्ता छुपाना चाहती है।

किसी राज्य सरकार ने किसी समुदाय की जघन्य हत्या की हो और वो सरकार करीने से सारे सबूत मिटा के और बड़ी शक्ति बन जाए तो इसके सबूत उजागर करना जर्नलिज्म का धर्म होना चाहिए। इससे सच से किसका फायदा होगा और किसका नुकसान ये वो जाने जो इससे फायदा या नुकसान कमाना चाहते हैं।

इस डॉक्यूमेंट्री को वो 25% भारतीय मतदाता चिमटे से भी नहीं छुएंगे जो मुसलमान के विरुद्ध हिंदू कट्टरवाद की स्थापना के लिए भाजपा को वोट देते हैं। वो 10% भाजपा वोटर्स जो इंडिया शाइनिंग, और डंका बज रहा है जैसे मार्केटिंग गिमिक के शिकार हैं वो इस डॉक्यूमेंट्री को महज विपक्ष का प्रचार या वामपंथियों का षड्यंत्र मानकर कुछ हिस्सा देख कर अपनी कुंठा गायन में मग्न रहेंगे पर फिर भी वोट भाजपा को ही देंगे। लेकिन जो आखिरी 7% वोटर है जो पिछले दस वर्षों से भाजपा को वोट कर रहा है, जिसके मुताबिक विपक्ष में एक भी ढंग का नेता नहीं है, ये डॉक्यूमेंट्री उस 7% में सेंध लगा रही है।

स्कूल और कॉलेज में जबरदस्त सक्रिय भाजपा युवा दल, हर साल नए वोटर जोड़ रहा है। ऐसे में, भाजपा तंत्र के भरसक दुरुपयोग से चुनाव जीतने के बाद दुनिया में जैसा नेरेटिव चाहे सेट कर लेती है। आगामी चुनाव जीतने के बाद यदि भाजपा यह भी कह दे की डॉक्यूमेंट्री वाले भी मोदी जी के डंके को नहीं दबा पाए तो हमारे पास इसे मानने के अलावा विकल्प ही क्या बचेगा?

कटु सत्य ये है की विपक्ष वोट शेयर बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। विपक्ष के कोई कार्यक्रम किसी स्कूल या कॉलेज में नहीं चलते हैं। इनका एक भी ऐसा कार्यक्रम होता हुआ नहीं दिखता जहां नए वोटर इनसे प्रभावित हों और इनके विचारों पर गौर करे। ऐसे में भाजपा वोट गैनिंग के सारे हथकंडे आजमाती है तो वो जीत का श्रेय जिसे देना चाहें दे देते हैं। मोदी मैजिक को बनाए रखने में ही भाजपा का स्वार्थ निहित है।जब तक है, मैजिक है।

वैसे बेकार का सच तो ये भी है की इस डॉक्युमेट्री से उन लोगों को और बेहतर समझ आया होगा की मोदी क्यों एक हिंसक नेता है, एवं क्यों भविष्य में इतिहास उसे अनैतिक एवं क्रूर शासक के रूप में जानेगा।

इस मोदी मैजिक के पीछे की कालिख का हिसाब रखने के लिए बीबीसी, गुजरात फाइल्स जैसे दस्तावेज जरूरी हैं। क्योंकि जैसे जैसे डंके की आवाज कम होगी डॉक्यूमेंट्री का सच इतिहास लिखने के काम आएगा।

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