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J Rajaram

सराहना

परामर्श और आशीष वक़्त के शोर में यूँ चीख़ रहे हैं लम्हे!
बहते पानी में कोई डूब रहा हो जैसे!!
लेखनी में ठहराव के साथ समाज की अंदरूनी तहों में बहता हुआ दर्द भी है। यह दर्द हमारे पढ़ने के सफर को कहां-कहां तक ले जाता है, यह तो सिर्फ इन कहानियों को पढ़कर ही अंदाज लगाया जा सकता है। बशर्ते यदि आप कहानी के मर्म में वास्तविकता को उसी विद्रूपता में देखना चाहते हैं। यदि आप हिंदी की उत्कृष्ट कहानी और इसकी बानगी पढ़ना चाहते हैं, तो यह संकलन आपके लिए ही है।”

- डॉ॰ प्रशांत चौबे, एस॰पी॰, ए॰टी॰स, मध्य प्रदेश पुलिस, शोधकर्ता, लेखक

सराहना

कहानियों को पढ़ते हुए लगता है जैसे लेखक हमारी ही कहानी कह रहा है, कहानी के पात्र अपरिचित नहीं है, हमारे ही बीच से लिये गए है। बहुत बहुत शुभकामनाएँ…”
- डॉ॰ रीनू यादव, पूर्व मिसेज़ इंडिया अंतर्राष्ट्रीय एवं प्रोफ़ेसर ऑफ़ फ़ार्मास्यूटिकल विज्ञान


ये कहानी संग्रह, हमारी अपनी यादों और विचारों की शृंखला है, यादों को भाषाई ताने-बाने में बुना गया है।लेखक की विवरणात्मक शैली अद्भुत है।किस्सागोई का यह नवीन प्रयास सफल है, क्योंकि इस लेखनी में पाठकों को बांधे रखने की शक्ति है”
डॉ॰ सोनाली नरगुंदे, डिपार्टमेंट हेड, एस॰जे॰एम॰सी


वक़्त के शोर में यूँ चीख़ रहे हैं लम्हे!
बहते पानी में कोई डूब रहा हो जैसे!!
लेखनी में ठहराव के साथ समाज की अंदरूनी तहों में बहता हुआ दर्द भी है। यह दर्द हमारे पढ़ने के सफर को कहां-कहां तक ले जाता है, यह तो सिर्फ इन कहानियों को पढ़कर ही अंदाज लगाया जा सकता है। बशर्ते यदि आप कहानी के मर्म में वास्तविकता को उसी विद्रूपता में देखना चाहते हैं। यदि आप हिंदी की उत्कृष्ट कहानी और इसकी बानगी पढ़ना चाहते हैं, तो यह संकलन आपके लिए ही है।”

- डॉ॰ प्रशांत चौबे, एस॰पी॰, ए॰टी॰स, मध्य प्रदेश पुलिस, शोधकर्ता, लेखक

जीवन को ठहर कर देखने का गुण और उसे शब्दों में पिरो कर प्रस्तुत करने की कला इन कहानियों को अद्भुत बनाती है। थोड़े से ही शब्दों में पाठक को उस घटना के प्रत्यक्ष लाकर खड़ा कर देना लेखक का कमाल है। ये कहानियाँ कौतूहल, हास्य और जीवन दर्शन का अनोखा मिश्रण परोस कर हमें हमेशा बांधे रखती है। कहानी के पात्र इतने वास्तविक हैं कि या तो आप खुद को उस पात्र के तुल्य या कहानी के किसी और पात्र के तुल्य पाते हैं। खुद पर व्यंग मारने की कला भी कहानियों के पात्रों को और रोचक बनाती है। मैं जितेंद्र के इस संग्रह की सफलता की कामना करता हूँ और मुझे पूरा यकीन है कि भविष्य में भी वह अपने पाठकों को इस तरह की कृतियों की भेंट देते रहेंगे।”
- विंग कमांडर आर के यादव, भारतीय वायुसेना


यह किताब आपको, आपकी ज़िंदगी के बहुत क़रीब से लेकर गुजरती है। जैसे सब कुछ आपके आस-पास हो रहा हो, आप महज़ पाठक नहीं रहते इन पात्रों और घटनाओं के साक्षी हो जाते हैं।”।
ओंकार सिंह, अर्जुन अवार्ड सम्मानित, भारतीय नौसेना


इन कहानियों में लेखक की मानवीय भावनाओं के प्रति सूक्ष्म संवेदना परिलक्षित होती है। महात्मा बुद्ध ने कहा है कि संसार मे सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा है। हमारी एकाकी दृष्टि इस अन्य से जुड़े अहसास को महसूस नहीं होने देती। मेरा विश्वास है कि इस कहानी संग्रह को पढ़ने के बाद आप स्वयं को ज्यादा संवेदनशील पायेंगे।
महात्मा बुद्ध का दूसरा बड़ा संदेश है कि सब कुछ परिवर्तनगामी है, अर्थात हर क्षण सब कुछ बदल रहा है। हम सब आपस में जुड़े हैं और एक ही अस्तित्व का हिस्सा हैं, हम जो भी करेंगे वह नित्य हो रहे परिवर्तन में समाहित होगा और शेष बचेगा सिर्फ सिफ़र।”
आलोक अग्रवाल, नर्मदा बचाओ आंदोलन


कहानियों का ये संग्रह कई बार भुला देता है कि आप किताब पढ़ रहें हैं। ऐसा लगता है ये सब कुछ आपके आस-पास घाट रहा है। कहानीकार को अनेक बधाई और अधिक लिखें, शुभकामनाएँ
- डॉ॰ नरेश सिंह, संस्थापक, एशिया पेसिफ़िक ईडीआई
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